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केंद्र सरकार राजभाषा हिन्दी और सभी क्षेत्रीय भाषाओं के बीच बेहतर समन्वय के लिए निरंतर प्रयासरत है » भाजपा की बात

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केंद्र सरकार राजभाषा हिन्दी और सभी क्षेत्रीय भाषाओं के बीच बेहतर समन्वय के लिए निरंतर प्रयासरत है » भाजपा की बात

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केंद्र सरकार राजभाषा हिन्दी और सभी क्षेत्रीय भाषाओं के बीच बेहतर समन्वय के लिए निरंतर प्रयासरत है » कमल संदेश


गृह राज्यमंत्री श्री अजय कुमार मिश्रा ने कल केंद्रीय अनुवाद ब्यूरो का निरीक्षण तथा समीक्षा बैठक की, जिसमें राजभाषा विभाग के अधिकारी व अन्य अधिकारी गण भी उपस्थित थे।

गृह राज्यमंत्री ने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में केंद्र सरकार राजभाषा हिन्दी और सभी क्षेत्रीय भाषाओं के बीच बेहतर समन्वय के लिए निरंतर प्रयासरत है। उन्होने कहा कि माननीय गृह मंत्री श्री अमित शाह ने हाल ही में एक बैठक में एक ऐसे वातावरण का निर्माण करने का आवाहन किया था जिसमे हिन्दी का स्थानीय भाषाओं की सखी के रूप में सहज विकास हो सके और हम उनके मार्गदर्शन में इस दिशा में लगातार काम कर रहे हैं।

गृह राज्यमंत्री ने ब्यूरो द्वारा किए जा रहे कार्यों की प्रशंसा की और निर्देश दिया कि केंद्रीय अनुवाद ब्यूरो अनुवाद करते समय सहज एवं सरल शब्दों का प्रयोग करें ताकि अनुवाद आम जन के समझ में आसानी से आ सके। मशीनी अनुवाद का उपयोग इस तरह करना चाहिए ताकि मशीन द्वारा किए गए अनुवाद में यदि कोई चूक या त्रुटि दिखलाई पड़े तो उसे मानव मेधा और भाषिक संस्कारों से दूर किया जा सके। उन्होंने कहा कि अनुवादक को अपने ज्ञान और भाषिक क्षमता का उपयोग करते हुए सरल और सहज वाक्यों का प्रयोग करना चाहिए। हिंदी का कार्य महत्वपूर्ण है। हिंदी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है इसलिए राजभाषा है। इसे केवल सरकारी भाषा न मानें बल्कि इसके प्रति संपर्क भाषा के रुप में सम्मान, आदर भावना और लगाव होना चाहिए। हिंदी की इसी भावना को अपने प्रशिक्षण कार्यक्रमों में भी शामिल करें।

श्री अजय कुमार मिश्रा ने कहा कि केंद्रीय अनुवाद ब्यूरो के अधिकारी एवं कर्मचारी न केवल सरकारी नौकरी कर रहे हैं बल्कि भाषा के माध्यम से देश सेवा कर रहे हैं। अनुवाद करने के क्रम में लक्ष्य भाषा एवं स्त्रोत भाषा पर अच्छी पकड़ आवश्यक है, जो ब्यूरो के कार्मिकों में है।

गृह राज्यमंत्री ने यह भी निर्देश दिया कि ब्यूरो में प्रतिभाओं की कमी नहीं है, ब्यूरो हिंदी का ऐसा गीत तैयार करे जो सहज, सरल एवं लोकग्राही हो जिसके मूल भाव में हिंदी के प्रचार प्रसार की झलक हो और जिसमें क्षेत्रीय भाषाओं की भी झलक दिखाई दे। हिंदी के विकास में अभी तक जितने भी कदम उठाए गए हैं वास्तव में उस अनुपात में हिंदी का विकास नहीं हो पाया है। अत: हिंदी को जन जन की भाषा बनाने की आवश्यकता है। हिंदी क्षेत्रीय भाषाओं को साथ लेकर चलने वाली भाषा है। अत: हमे क्षेत्रीय भाषाओं के सहज और प्रचलित शब्दों को राजभाषा हिंदी में प्रयोग करने का भरसक प्रयास करना चाहिए।

(News Source -Except for the headline, this story has not been edited by Bhajpa Ki Baat staff and is published from a hindi.kamalsandesh.org feed.)

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