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प्रधानमंत्री ने मातृ मृत्यु दर में हुई महत्वपूर्ण कमी की सराहना की » Bhajpa Ki Baat

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प्रधानमंत्री ने मातृ मृत्यु दर में हुई महत्वपूर्ण कमी की सराहना की » Bhajpa Ki Baat

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प्रति लाख जीवित जन्मों में मातृ मृत्यु दर 2014-16 के 130 की तुलना में 2018-20 में 97 हो गयी है

प्रति लाख जीवित जन्मों में मातृ मृत्यु दर 2014-16 के 130 की तुलना में 2018-20 में 97 हो गयी है, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 30 नवंबर को मातृ मृत्यु दर में हुई इस महत्वपूर्ण कमी की सराहना की। प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि महिला सशक्तीकरण से जुड़े सभी आयाम बहुत मजबूत रहे हैं।
श्री मोदी ने केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया के एक ट्वीट को रेखांकित करते हुए ट्वीट किया, “एक बहुत ही उत्साहजनक प्रवृत्ति। इस बदलाव को देखकर खुशी हुई। महिला सशक्तीकरण से संबंधित सभी आयामों को आगे बढ़ाने पर हमारा जोर काफी मजबूत रहा है।”

केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने इस उपलब्धि पर देशवासियों को बधाई दी। उन्होंने मातृ मृत्यु दर (एमएमआर) को प्रभावी ढंग से कम करने में उल्लेखनीय प्रगति की प्रशंसा की और एक ट्वीट संदेश में कहा, “मातृ मृत्यु दर (एमएमआर) में महत्वपूर्ण गिरावट आई, प्रति

नमूना पंजीकरण प्रणाली (एसआरएस) से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार देश ने एमएमआर में प्रगतिशील तरीके से कमी देखी है। यह 2014-2016 में 130, 2015-17 में 122, 2016-18 में 113, 2017-19 में 103 और 2018-20 में 97 रहा है

लाख 2014-16 में 130 से घटकर 2018-20 में 97 जीवित प्रसव हो रहे हैं। गुणवत्तापूर्ण मातृ और प्रसव देखभाल सुनिश्चित करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार की विभिन्न स्वास्थ्य नीतियों व पहल ने एमएमआर को नीचे लाने में जबरदस्त तरीके से सहायता की है।”

भारत के रजिस्ट्रार जनरल (आरजीआई) द्वारा एमएमआर पर जारी विशेष बुलेटिन के अनुसार भारत में मातृ मृत्यु अनुपात (एमएमआर) में 6 अंकों का शानदार सुधार हुआ है और अब यह प्रति लाख/97 जीवित प्रसव पर है। मातृ मृत्यु दर (एमएमआर) को प्रति 100,000 जीवित प्रसव पर एक निश्चित समय अवधि के दौरान मातृ मृत्यु की संख्या के रूप में परिभाषित किया गया है।

नमूना पंजीकरण प्रणाली (एसआरएस) से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार देश ने एमएमआर में प्रगतिशील तरीके से कमी देखी है। यह 2014-2016 में 130, 2015-17 में 122, 2016-18 में 113, 2017-19 में 103 और 2018-20 में 97 रहा है।

इसे प्राप्त करने पर भारत ने 100/लाख से कम जीवित प्रसव के एमएमआर के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति (एनएचपी) लक्ष्य को हासिल कर लिया है और 2030 तक 70/लाख जीवित प्रसव से कम एमएमआर के एसडीजी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सही रास्ते पर है।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के तहत वर्ष 2014 से भारत ने सुलभ गुणवत्ता वाली मातृ एवं नवजात स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने और रोकथाम योग्य मातृ मृत्यु अनुपात को कम करने के लिए एक ठोस प्रयास किया है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ने विशेष रूप से निर्दिष्ट एमएमआर लक्ष्यों को पूरा करने हेतु मातृ स्वास्थ्य कार्यक्रमों के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए स्वास्थ्य सेवाओं के प्रावधान को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से महत्वपूर्ण निवेश किया है।

‘जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम’ और ‘जननी सुरक्षा योजना’

‘जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम’ और ‘जननी सुरक्षा योजना’ जैसी सरकारी योजनाओं को संशोधित किया गया है और इन्हें सुरक्षित मातृत्व आश्वासन (सुमन) जैसी अधिक सुनिश्चित एवं सम्मानजनक सेवा वितरण योजनाओं में अपग्रेड किया गया है।

प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (पीएमएसएमए) विशेष रूप से उच्च जोखिम वाले गर्भधारण की पहचान करने और उनके उचित प्रबंधन को सुविधाजनक बनाने पर केंद्रित है। रोकी जा सकने वाली मृत्यु दर को कम करने पर इसका महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा है। लक्ष्य और मिडवाइफरी पहल सभी गर्भवती महिलाओं को सुरक्षित प्रसव कराने का विकल्प सुनिश्चित करते हुए एक सम्मानजनक तथा गरिमापूर्ण तरीके से गुणवत्तापूर्ण देखभाल को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करती हैं।

एमएमआर दर को सफलतापूर्वक कम करने में भारत के उत्कृष्ट प्रयास वर्ष 2030 के निर्धारित समय से पहले 70 से कम एमएमआर के एसडीजी लक्ष्य को प्राप्त करने और सम्मानजनक मातृ देखभाल प्रदान करने वाले राष्ट्र के रूप में माने जाने पर एक आशावादी दृष्टिकोण उपलब्ध कराते हैं।

(News Source -Except for the headline, this story has not been edited by Bhajpa Ki Baat staff and is published from a BJP KS feed.)

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